20.10.11

चर्च पोल

बच्चे बेचने वाले गिरोह में कैथोलिक चर्च शामिल

बीबीसी की खबर

साभार: सुरेश चिपलूणकर

Suresh Chiplunkar on Wednesday, October 19, 2011 at 12:00pm
BBC द्वारा स्पेन में बच्चे बेचने वाले एक गिरोह का पर्दाफ़ाश किया है। इस गिरोह में डॉक्टर, नर्स, पादरी एवं चर्च के उच्चाधिकारी शामिल हैं। इस गिरोह ने पिछले 50 साल में 3 लाख बच्चे बेचे हैं। इन वर्षों के दौरान बड़े (बल्कि अधेड़) हो चुके हजारों लोग अब इस बात से परेशान हैं कि आखिर उनके असली माँ-बाप कौन हैं। गिरोह की कार्यप्रणाली के अनुसार नवप्रसूता से कह दिया जाता था कि "बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था, इसलिए दफ़ना दिया गया…"। इस बात को पुख्ता स्वरूप देने के लिए कैथोलिक चर्च के पादरी से पुष्टि करवाई जाती थी, फ़िर निःसंतान दंपतियों को वह बच्चा मोटी रकम में बेच दिया जाता था। यह गोरखधंधा इतने वर्षों तक इसलिए चल सका, क्योंकि दुखी माता-पिता सम्बन्धित पादरी की बात पर आसानी से विश्वास कर लेते थे।
BBC के इस भण्डाफ़ोड़ के बाद अब हजारों की संख्या में लोगों ने विभिन्न अस्पतालों के रिकॉर्ड निकालकर DNA टेस्ट के लिए आवेदन दिये हैं। परन्तु अब इतने वर्षों के बाद यह कवायद कितनी सफ़ल होगी और कितने लोग अपने असली माता-पिता से मिल सकेंगे, इसमें संदेह ही है…।
मामला खुलने के बाद कैथोलिक चर्च में भारी शर्मिंदगी का माहौल है… क्योंकि चर्च की सत्ता कुछ समय पहले ही बाल यौन-शोषण के आरोपी हजारों पादरियों से निपटने और उनके खिलाफ़ मुआवजे के लाखों डॉलर चुकाने में व्यस्त है। भारत में भी ईसाई-बहुल केरल राज्य में आए-दिन ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन चूंकि भारतीय मीडिया पर चर्च का पूर्ण अंकुश है, इसलिए सफ़ाई से इन्हें दबा दिया जाता है…।
वैसे भी भारतीय मीडिया को सारी बुराईयाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दू धर्म, हिन्दू संतों, हिन्दू मन्दिरों, हिन्दू परम्पराओं में ही दिखाई देती हैं… क्योंकि इस मीडिया को चलाने वाले या तो "सेकुलर" हैं, या "कॉन्वेंट" से पढ़े हुए हैं, या फ़िर "बिके हुए" हैं…।
पूरी खबर यहाँ पढ़ें: http://www.dailymail.co.uk/news/article-2049647/BBC-documentary-exposes-50-year-scandal-baby-trafficking-Catholic-church-Spain.html#ixzz1b1ARsx2m

बिजली गॉन, मीटर ऑन

बीएसईएस की कारगुजारी 
बिजली का कनेक्शन काटते समय मीटर की रीडिंग ४४७ यूनिट थी। २ दिन बाद अचानक सूबे सिंह की नज़र मीटर पर पड़ी तो उनके होश उड़ गये। बिना बिजली कनेक्शन के मीटर दौड़ रहा था और उसमें रीडिंग १२५७ थी। उन्होंने अपने इष्ट-मित्र-पड़ोसियों को बुलाकर यह करामात दिखाई। सभी यह देख आश्चर्यचकित और आक्रोषित थे। 
निजी बिजली कम्पनी बीएसईएस (मालिक अम्बानी) के ऊपर दिल्ली की मुख्य मन्त्री श्रीमती शीला दीक्षित की असीम कृपा है। खुलेआम इस कम्पनी का वे पक्ष लेती हैं। तेज दौड़ते बिजली के मीटरों से लोग लम्बे समय से परेशान हैं। मनमाने बिलों से परेशान हैं। पर राहत की बजाय लोगों के हाथ सिर्फ़ परेशानियां ही आती हैं।


पिछले दिनों बिजली का बिल समय पर जमा न कर पाने के कारण दिल्ली के नजफ़गढ़ क्षेत्र के गांव खड़खड़ी रोंद निवासी सूबे सिंह के घर का कनेक्शन काट दिया गया। बिजली का कनेक्शन काटते समय मीटर की रीडिंग ४४७ यूनिट थी। २ दिन बाद अचानक सूबे सिंह की नज़र मीटर पर पड़ी तो उनके होश उड़ गये। बिना बिजली कनेक्शन के मीटर दौड़ रहा था और उसमें रीडिंग १२५७ थी। उन्होंने अपने इष्ट-मित्र-पड़ोसियों को बुलाकर यह करामात दिखाई। सभी यह देख आश्चर्यचकित और आक्रोषित थे।
वे तत्काल इस मामले की शिकायत करने ३ बार उजवा और नजफ़गढ़ दफ़्तर गये। किसी बिजली अधिकारी ने उनकी बात नहीं सुनी। मीटर की जांच के लिए पहले ५० रुपये शुल्क जमा कराकर शिकायत करने को  को कहा गया। सूबे सिंह ने अनेक परेशानियां झेलते हुए बिजली दफ़्तर के अधिकारियों के निर्देशों का पालन किया। फ़िर उन्हें बिजली के बिल की बकाया राशि २३०० रुपये भी जमा कराने को कहा गया। वह भी उन्होंने जमा करा दी। इसके बाद बिजली अधिकारी उनके घर गये और दिया गया विवरण सही पाकर तत्काल मीटर बदलने का पर्चा काट दिया। सूबे सिंह के घर का दो दिन जमकर चला बिजली का फ़िलहाल बन्द है। पर बिजली का दोषयुक्त यह मीटर ये पंक्तियां लिखे जाने तक यानी आज २० अक्टूबर २०११ तक भी नहीं बदला गया है।
यही है जनसेवा करने वाली सरकार के तमाम कामों का एक नमूना।
• सुरेश त्रेहान
नाहरगढ़ साप्ताहिक, नयी दिल्ली
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2.3.11

संत को छेड़ोगे.....सत्ता तो जाऐगी ही और विदेSHO में जमा धन भी

भारत में मृत हो चुके योग और प्राणायाम को पूरी दुनियां में प्रतिSिठत करने वाले बाबा रामदेव जिसके द्वारा दुनियां भर के 5 करोड़ से ज्यादा लोग स्वस्थ्य लाभ ले चुके हैं, अनुयायी हैं। यहां तक कि मिडिल ईस्ट के
मुस्लिम देSHO के लोग भी छुप-छुपकर योग-प्राणयाम करते हैं और किसी भी पेैथी के द्वारा ठीक न होने वाली बीमारियों से उन्होने मुक्ति पायी है। करोड़ों को स्वस्थ्य दान करने वाले बाबा रामदेव अगर आज यूरोप और अमेरिका के होते तो निःसंदेह उन्हे नोबेल पुरूSकार कब का मिल गया होता। आज से 10 वर्SH पहले तक हमारी भारतीयता, हमारे सनातनी ज्ञान, संस्कृति और हमारे प्राचीन योग और औSाधि ज्ञान को दुनियां भर में दिव्य स्वरूप में प्रतिSिठत होने के बारे में, इस उत्थान के बारे में किसी ने भी SHAयद ही सोचा होगा! इससे पहले सभी लोगों को सिर्फ और सिर्फ स्वामी विवेकानन्द ही याद आते थे जब उनके 1896 में ’िSकागो धर्मसभा में भारतीय ज्ञान और योग पर ऐतिहासिक उद्धबोधन का। आज 105 साल बाद जब उसी पताका को एक सन्यासी पूरी भारतीयता के साथ पूरे विSव में लहराने मे लगा है तो हमारे देesh के ही भ्रSट, डरपोक, कायर, राSट्रद्रोही मुस्लिम वोटों की राजनीति करने के लिए अफजल गुरूओं को दामादों की तरह पालने वाली, बाटला हाउस के SHहीदों को कलंकित करने वाली, मुम्बई हमले के आतंकियों को हिन्दू साबित करने वाली, देESH को लूट-लूटकर, निचोड़ कर विदेSHो में खरबों-खरबों डाॅलर जमा करने वाली कांग्रेस ने अपने भ्रSटाचारी आचरण पर जेपीसी की खीज उतारने के लिए बाबा रामदेव नाम के खम्भे को नोचना SHुरू कर दिया है।   क्योंकि बाबा रामदेव ने 2009 के चुनावो से पहले ही कालेधन का मुद्दा उठाना SHुरू कर दिया था। स्वामी रामदेव का कसूर सिर्फ इतना है कि वह योग के प्रसार के साथ-साथ भ्रSट राजनीति के कीचड़ भरें तालाब को भी साफ कर देना चाहते है। जबकि कांग्रेस बाबा रामदेव को एक भ्रSट सन्यासी करार देने पर उतारू है। राजनीति के घाघ और भ्रSटों को अच्छी तरह से पता है कि जब-जब कोई सन्यासी चाणक्य या गांधी बनकर
राजनीति में धंसा है तब-तब देESH में भ्रSट राजनीति का समूल नाSH हुआ है। उनपर आरोप लगाए जाते हैं कि उनका योग सिर्फ अमीरों के लिए है, गरीबों के लिए नही। SHायद वे ये नही जानते कि बाबा रामदेव ने एक
लाख से अधिक योग SHIiक्षकों को प्रSिSक्षण देकर भारत के कोने-कोने में योग के प्रचार प्रसार करने और गरीब भारतवासियों को स्वास्थ्य धन देने के लिए भेजा हुआ है। बाबा रामदेव के स्वदेSHI से प्रेरित होकर आज लाखों भारतीय विदेSHI उत्पादों का बहिSकार कर देESH की अरबो रूपयों की विदेSHI मुद्रा बचा रहे हैं। महात्मा गांधी के बाद अगर खादी के लिए किसी ने आन्दोलन किया है तो वह स्वर्गीय राजीव दीक्षित और बाबा रामदेव ही हैं। जिनकी वजह से आज लाखों लोग खादी द्वारा गृह उद्यौग चलाकर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। उनपर आरोप लगाने वालों को पता नही कि बाबा रामदेव की देSHI दवाईयों के कारण विदेSHI दवाई कम्पनियों को हर साल अरबों डालर का चूना लगता है। विदेSHO को जाने वाले यह धन देESH के विकास में काम आता है। क्या स्वदेSHी, भारत की प्राचीन योग परम्परा और देSHप्रेम की बात करना भारत में अपराध है? क्या राजनीति में प्रवेS सिर्फ माफियाओं, अपराधियों, धनपSHुओं और नेताओं की बिगड़ी हुई औलादों
के लिए ही आरक्षित है ? क्या संविधान में सिविल और डेमोक्रेटिक अधिकारों को मिटा दिया गया है जो प्रत्येक भारतवासी को प्राप्त है? क्या स्वामी बाबा रामदेव भारत के नागरिक नहीं हैं ? क्यों भारत के लोग मात्र दस कक्षा पास रहस्यमयी सोनियां के चरणों की धूल को नतमस्तक पर लगाने को उत्सुक रहते हैं ?  इस देESH से राSट्रीयता का ह्नास क्यों होता जा रहा है ? स्वामी रामदेव का कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होने 21वीं सदी के राजाराम मोहन राय की तरह, ईSवर चन्द विद्यासागर की तरह, दयानन्द सरस्वती की तरह,
स्वामी विवेकानन्द की तरह ही सनातनी भारत को विSव गुरू बनाने का सपना देखा। जिसको साकार करने के लिए वे मनोयोग से कर्म करते हुए नित्य प्रतिदिन प्रगति के पथ पर हैं। इतिहास गवाह है कि जब-जब
किसी युगमानव ने दे’ा और समाज को बदलने का बीड़ा उठाया है तब-तब ही सुख सुविधा से सम्पन्न सड़-गले सुविधाभोगियों द्वारा ही विरोध किया गया! SHaयद हमारे देESH की सत्ता में बैठे लोगों के कान इतने बहरे हो गये हैं जिन्हे मिस्र, ट्यूनिSHIया, लिबिया और दुनियां के दूसरे देSHO में उठते बदलाव की पुकार भी सुनाई नही पड़ रही! इसका एकमात्र कारण यही है कि वह देESH के लोगों के धन को हड़पकर प्राप्त की गईं सुख-सुविधाभोगी कीचड़ में पिल-पिला रहे हैं जिन्हे भारत के गरीबों से कुछ लेना-देना नही। उन्हे हमारे देESH  की बेरोजगारी से पनप रहे विद्रोह, गरीबों की भूख से निकलती आह, आत्महत्या करते किसान, दूध के लिए बिलखते बच्चों के लिए सरेआम बिकती मांए नहीं दिखतीं! जंगलों से बेदखल होते आदिवासी और उनको
हथियार पकड़ा कर नक्सली बनाते देESHद्रोही कम्यूनिस्ट नही दिखते! इनको यूएनओ का मानव विकास सूचकांक भी नही दिखाई पड़ रहा जिसमें भारत देESH सबसे अंतिम श्रेणी में खड़ा है जबकि मानव विकास में भूटान, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान जेैसे देESH हमसे आगे खड़े हैं। SHAयद हमारी सरकार और प्रधानमन्त्री अपने कार्यकाल में प्रोफेसर अर्जुन सेन गुप्ता की 2006 की रिर्पोट को पढ़कर भूल गये है जिसमें कहा गया कि भारत के अस्सी करोड़ लोगों की प्रतिदिन की आमदनी 20 रूपये या इससे कम है। आजादी के 64 वर्SOो बाद से गरीबी बढ़ने की रफ्तार तेजी से बढ़ती जा रही है। जबकि कुछ लोगों द्वारा सत्ता में आते ही देESH के धन को लूटकर अरबों-खरबों जमा कर लिया गया! जबकि अंग्रेज ने भी अपने 175 साल के SHAसन में 1000 अरब डालर धन की लूट की थी। यही हम भारतवासियों का इतिहास है। हमारी कमजोरियों और हमारे दब्बूपने की वजह से सभी न हमें लूटा है और लूट रहे हैं। मुहम्मद गजनवी से लेकर सोनियां गांधी तक। सोमनाथ मन्दिर से काॅमनवेल्थ, टू जी स्पेक्ट्रम तक। पामोलिन घोटालेबाज पी.जे. थामस को सिर्फ इसलिए सी वी सी का अध्यक्ष बना दिया गया कि वह ईसाई और सोनियां गांधी परिवार का नजदीकी था। यही परिवार देESH में भ्रSटाचार की मुख्य जड़ है, जिनकी वजह से तमाम सभी प्रकार के भ्रSटाचार और
भ्रSटाचारियों का जन्म हुआ। बाबा स्वामी रामदेव का कसूर यही है कि उन्होने इस भ्रSटतम नेहरू, गांधी परिवार पर उंगलियां उठायीं। जबकि बाबा ने स्वयं ही बता दिया कि मेरे दो ट्रस्ट हैं, जिनकी वार्”Sिाक टर्न
ओवर 2200 करोड़ है। जो लाभ नही कागजों में दर्ज टर्नओवर है। जबकि यह रकम बाबा के खिलाफ बोलने वाले दिग्गी राजा की सम्पति और आय से बहुत कम है। अगर बाबा ने अपना आन्दोलन तेज किया तो
निSिचत ही कांग्रेस को सत्ता के साथ उनका विदेSी बैंको में जमा धन से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

28.2.11

Shहीद चन्द्रsheखर आजाद के बलिदान दिवस पर हिन्दू मंच की विshaल रैली

नजफगढ़, रविवार 27 फरवरी 2011.

दुsमन की गोलियों का हम सामना करेंगे आजाद ही रहे हैं आजाद ही रहेंगे
वह आजाद था.... उसने भारतमाता को अंग्रेजों से आजाद कराने का सपना देखा था। अस्सी वर्S पहले 27 फरवरी 1931 के दिन चन्द्रsheखर आजाद अपने एक पुराने मित्र से मिलने जा रहे थे तभी अंग्रेजों की पुलिस पार्टी ने उन्हे घेर लिया। आजाद ने डटकर उनका मुकाबला किया और अन्त में जब उनके रिवाल्वर में अंतिम एक गोली बची थी वह चारों ओर से घिर चुके थे, आजाद ने प्रण लिया कि मैं किसी भी कीमत पर जिन्दा अग्रेंजो के हाथ नही आउंगा और उसी अंतिम गोली से स्वयं को समाप्त कर भारतमाता की आजादी के लिए Shहीद हो गये ...........। उनके इस बलिदानी क्षणों को याद करते हुए हिन्दू मंच जिला नाहरगढ़ (नजफगढ़) के कार्यकर्ताओं ने एक विSHAL पद यात्रा के जरिए आमजनों में प्रायः लुप्त होती जा रही राsट्रभावना, राsट्रभक्ति, राsट्र संवेदना को जगाने का प्रयास किया। लगभग 6 से 7 सौ स्थानीय युवा हिन्दू मंच के झण्डे लिए जीप पर भव्य रूप से सजायी गई भारतमाता, Shहीद चन्द्रsheखर आजाद और महर्SHI दयानन्द की सवारी के आगे-पीछे देesh पर मर मिटने वाले Shहीदों की जय-जयकार करते हुए चल रहे थे। पद यात्रा बुध बाजार से आरम्भ होकर दिल्ली गेट, छावला बस अड्डा, ढांसा बस अड्डा, बहादुरगढ़ बस अड्डा, नांगलोई बस अड्डे से वापस दिल्ली गेट होते हुए हनुमान मन्दिर पर समाप्त हुई। जहां हिन्दू मंच दिल्ली प्रान्त के अध्यक्ष श्री जय भगवान जी ने Shहीदों की जीवनी पर प्रकाSH डालते हुए लोगों से आह्ावान करते हुए कहा हम सभी को देesh के बारे में सोचना चाहिए। पहले हमारा देesh है, हमारी मातृभूमि है। हमें हमारे देesh के Shहीदों से सीख लेनी चाहिए। किस प्रकार उनमें देeshभक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा होता था। उसी जज्बे ने हमें आजादी दिलायी। आज गायब होते
जा रहे देeshभक्ति के जज्बे के कारण ही देesh में लूट पड़ गई है। नेता मन्त्री से लेकर सन्त्री तक सभी लूट में Sामिल हैं। उन्होने दुनियां के छोटे से देesh इजरायल के बारे में बताया कि वहां बड़ों से बच्चें तक सभी सैनिक है। वह किस प्रकार चारों तरफ से मुस्लिम देesh से घिरे होने के बावजूद अपनी रक्षा करते हुए उन पर भारी पड़ते हैं। उसके बाद प्रान्त मन्त्री सुsheल तौमर, पSिचमी विभाग के अध्यक्ष मुनshi लाल गुप्ता, विभागमन्त्री सुमेर सिंह ने भी युवाओं को सम्बोधित कर देesh पर Shहीद होने वाले Shहीदों से देeshभक्ति की प्ररेणा लेने का संदेSH दिया। अंत में विभाग अध्यक्ष मुनshi लाल गुप्ता ने हिन्दू मंच नाहरगढ़ जिला के अध्यक्ष राकेSH  जिला मन्त्री दीपक भारद्वाज, सह जिला मंत्री SHक्ति डबास, उपाध्यक्ष मयंक पाराSHर, कोSHAध्यक्ष डालचन्द अग्रवाल, जिला प्रभारी अजय रावता, सलाहकार दिगविजय, नगर प्रभारी सुरेन्द्र वत्स, प्रवक्ता राजपाल संगोई व सभी युवा कार्यकर्ताओं को धन्यवाद करते हuए भारतमाता की जय,  SHहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले के उद्घGHOS के साथ पद यात्रा की समाप्ती की घोSणा की। .





23.2.11

जहां 100 में से 90 बेईमान हैं, फिर भी मेरा भारत महान है

बेईमानों की भी हो जनगणना

जहां 100 में से 90 बेईमान हैं, फिर भी मेरा भारत महान है
आजादी के बाद से ही यह कौेतुहल का विsaय रहा है कि भारत में कितने प्रतिsaत लोग बेईमान हैं ?
प्रत्येक आदमी के पास अपने-अपने आंकड़े हैं...लेकिन हद तो तब हो गई जब भारत सरकार के अटोर्नी जनरल वाहनवती ने स्वयं अपने मुखारविन्द से सर्वोच्च न्यायालय में भारत के लोगों पर आरोप लगाया था कि भारत की Saत-प्रतिsaत जनता बेईमान हो गई है, इसका सीधा-सीधा मतलब ये निकला कि वाहनवती भी बेईमान हुए ? उनके इस आरोप ने इस बहस को और भी तेज किया....और एक नई दिsha भी मिली ...चूंकि राजीव गांधी के समय में 10 प्रतिsaत ईमानदार ही देesh में बचे हुए थे इसलिए राजीव गांधी ने संसद में स्वीकार किया था कि दिल्ली से चले पैसे का मात्र 10 प्रति’ात ही
जनता तक पहूंच पाता है। यह भी उनका अनुमान ही था, क्योंकि इस सम्बन्ध में सरकार के पास भी कोई विsवस्त आंकड़ें नही थे। हालांकि फिर भी राजीव ने ‘मेरा भारत महान’ का नारा दिया और पहले भूतपूर्व बाद में अभूतपूर्व हो गए। इसके कुछ दिनों बाद ह ‘‘यASHवन्त’’ फिल्म में नाना पाटेकर ने भी इसकी पुsटee की कि 100 में से 90 भारतीय बेईमान हैं फिर
भी भारत महान है.....अब वर्तमान काल में कितना प्रतिsaत पैसा जनता तक पहूंच पा रहा है यह पता करने का सरकार ने कोई प्रयास नही किया है और न ही प्रधानमन्त्री ने लम्बे समय से इस सम्बन्ध में कोई बयान ही दिया है। अगर भारत सरकार के अटोर्नी जनरल के बयान को ही सच मानें
तो फिर जनता तक एक भी पैसा नहीं पहूंचना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नही पा रहा ह........इसलिए सरकार को यह पता लगाने के लिए कि देesh में कितने लोग बेईमान और कितने लोग ईमानदार हैं इसके लिए बेईमानी को भी जनगणना में shaमिल करना चाहिए ...इससे सबसे पहला
फायदा तो यह होगा कि यह अनुमान लगाने की सुविधा होगी कि योजनाओं में कितनी रupya जनता तक पहूंच पा रहa है....चूंकि ईमानदारों का प्रतिshaत और जनता तक पहुंचे धन का प्रतिsaत समानुपाती होता है। इसलिए सरकार को यह मालूम हो जाने के बाद अलग से घोटालों की राshi का प्रावधान कर सकेगी। इस जनगणना में मैं बेईमानों की ग्रेडिंग की अनुसंsha करता हूं
ए.बी.सी.डी आदि में। इसका अपना लाभ होगा। जिस पद के लिए जिस श्रेणी का बेईमान चाहिए, उस पद के लिए उसी श्रेणी के बेईमान की नियुक्ति की जा सकेगी। जैसे राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों के लिए, दूरसंचार मन्त्री के लिए आसानी से ‘ए’ ग्रेड के बेईमान ढूंढे जा सकेंगे। इसके साथ होshiयार और मूर्ख बेईमानों की भी अलग-अलग श्रेणी बनानी पड़ेंगी। होshiयार बेईमानों में उन्हे shaमिल किया जाना चाहिए जो घोटाला करने के बावजूद मामले को उजागर न होने देने में माहिर हों!  आज देesh को ऐसे बेईमानों की सख्त जरूरत है, वैसे भी इसका सबसे ज्यादा लाभ स्वयं कांग्रेस को ही होगा क्योंकि उसके Shaसन में ही सबसे ज्यादा घोटाले होते हैं।
वैसे मूर्ख बेईमानों के मन्त्री बन जाने से प्रतिदिन ही कोई न कोई घोटाला प्रकाsh में आता जाता है जिससे सरकार की किरकिरी पर किरकिरी होती जा रही है। वैसे तो हमारी सरकारें किरण बेदी,   सत्येन्द्र दूबे और अभयानन्द जैसे ईमानदारों को पहले से ही उनकी ईमानदारी के लिए दण्डित करती रही है...लेकिन जनगणना के बाद ईमानदारों को और भी आसानी से चिन्हित करके दण्डित किया जा सकेगा ...इसके साथ ही सरकार को उत्कृsट कोटि के बेईमानों के लिए बेईमान विभूshण, बेईमान भूshण, बेईमान श्री पुरुस्कार देने
की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे लाभ ये होगा कि ईमानदार अपनी ईमानदारी भरी व्यवस्था विरोधी गतिविधियों के प्रति हतोत्साहित होंगे और भारत को पूरी दुनियां में प्रथम shaत-प्रतिshaत बेईमान देesh बनने का गौरव प्राप्त हो सकेगा। इसके साथ ही ईमानदारों के लिए कठोर कानून बनाया जाना चाहिए   जिससे कोई भूलकर भी ईमानदारी पर चलने की गलती कर सके। लोकतन्त्र बहुमत से चलता है, बेईमानों को भी अपनी जनसंख्या के आधार पर सत्ता में भागीदारी मिले।
                                                     By : Harendar Singhal, Najafgarh

18.2.11

तिरंगा - जन-गण-मन का झूठा राग


विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
और जन-गण-मन का झूठा राग,
रस्म अदायगी का ये नाटक
राष्ट्रीय ध्वज से-हम करते आज!

विश्व विजयी का स्वप्नद्रष्टा,
अपना प्यारा राष्ट्रीय ध्वज !
अमरीका के चक्रव्यूह में,
आज गया है पूरा फँस !!

लगा के अपनी जान
बचालो तिरंगे की अब शान।

केसरिया रंग हमारा
है बल (पौरुष) का प्रतीक,
बल नही भर पा रहा
क्योंकि हुऐ हम-
पराई संस्कृति के नज़दीक।

सफेद रंग है दर्शाता,
सच्चाई और सादगी हमारी!
सच्चाई छोड़ दी सफेदपोशों ने,
आयतित जीवन शैली ने-
छीन ली सादगी हमारी ।।

सफेद ! अब रहा नही सफेद
लगे हैं जगह-जगह धब्बे !
सादगी खत्म
हुआ सच्चाई का चीर-हरण
ईमान बन गया आज
हरे-हरे नोटों के थब्बे ।।

और हरा रंग
हरी हमारी धरती का !
कृषि पर भी कब्जा हो रहा
वर्चस्व बढ़ा
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का।।

आओ जन-गण-मन की हम बात करें,
जिसकी जय नही है आज !
इनकी जय पर छा गया,
अमरीकी अधिनायकवाद !!

पहले ब्रिटेन था
अब अमरीका
बना हुआ सम्राट !
भारत तंत्र आज इसके जय की
लगा रहा आवाज !!

आज तिरंगे का अपमान
कर रहे -
हमारे ही हुक्मरान !
बे-शक सजाएँ जन-गण को दें
क्यों किया
तिरंगे का अपमान !!

उठो ! और छोड़ो इनको
बदलो अपना रास्ता,
अपनी आत्मनिर्भरता को बहाल कर
न रखो इनसे वास्ता !!

अपने आत्मगौरव के भाव जगाओ,
इन बहुराष्ट्रीय गिद्धों को बाहर भगाओ।
सादगी, सयंम, सच्चाई प्रतिष्ठित करके,
आत्म सम्मान को वापस लाओ ।।

तभी होगा
हमारे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान !
बनेगा तभी विश्व विजयी,
हमारा तिरंगा महान !!

सुरेsh त्रेहण 9999980424
email: sureshtrehan@rocketmail.com

15.2.11

आजाद देश के तुम आजाद हो हम थे गुलाम हम हैं गुलाम

नौकरशाह और नेता मंत्री, सारे हैं आजाद
राष्ट्र इन्ही के इर्द-गिर्द है,
इन्होने कर दिया बर्बाद ।

ये चाहे जितना करें घोटाला,
फिर भी है इनका बोलबाला।
इनके आगे कोर्ट कचहरी सब गये हैं हार
हम जनता की कौन सुनेगा,  सदियों की गुहार ?

कानून ढिंढोरा जितना पिटे
इनके फैंसले लगते बेमानी,
एक-एक कर बरी हो जाते
कहीं न कहीं हो रही मनमानी।

इन सबसे आगे भी सोचो,
हो कैसे जनता का उद्धार ।
जिनकी समस्याएँ हैं वहीं पड़ी,
सन् 47 से वहीं खड़ी
वह रही.....दे’ा निहार ।।

आज भी देश में
भूखे पेट हैं और तन नंगे।
पीने का नहीं पानी-तालाब और नाले ही हैं
उनकी हर-हर गंगे ।।

जहाँ बत्ती नहीं, पर है बाती जरूर
सड़क नहीं, पर है पगडंडी मगरूर
आज तक जो आया, सिर्फ दे गया पैगाम !
तुम आजाद हो!!! आजाद देश को करो सलाम

भूखे पेट कब तक भरेंगें
सुन- सुन कर इनके कलाम।
आजाद देश के तुम आजाद हो
हम थे गुलाम हम हैं गुलाम ।।
सवा अरब की आबादी में, सवा लाख का शासन है।
माल-मलाई ये खा गये, हमे दिया सिर्फ भाषण है।।

हमारे नाम पर कर्जे ले कर, भरें हैं सबने-अपने घर
जो थे वो भर चले गये, जो हैं सो भर रहे निडर

कल क्या होगा इस देश का ?
इनके माथे पर शिकन तक नहीं,
जैसा होगा कल गुजारेगें- ‘वो’
जरा भी इनको फिकर तक नहीं।।

हम तो सदियों से थे एैसे ही,
और आज भी हैं हम वैसे ही।

अब हम न आएँगे तुम्हारे झाँसो में,
चाहे जितने सुनाओ, तुम अपने कलाम !
आजाद देश के तुम आजाद हो
हम थे गुलाम हम हैं गुलाम ।।

दesh  भक्त दोस्तों,
पहले अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कम्पनी भारत में व्यापार के
बहाने आयी थी और हमारी पांच पुस्तों को गुलाम बनाकर
रखा। आज फिर व्यापार के नाम पर एक लाख से ज्यादा विदेशी
कम्पनियां भारत में आकर खुल के व्यापार कर रही हैं। उस वक्त
भी मीर जाफरों, गद्दारों ने अंग्रेजों का साथ दिया था
और आज भी वह जनता को गुमराह कर अंग्रेजों का खुलकर
साथ दे रहें हैं। अगर समय रहते इन विदेशी कम्पनियों को
इस देश से नही भगाया गया तो अबके आपकी गुलामी के
200-300 साल नहीं बल्कि 5-6 हजार साल होंगे। इन मीर
जाफरों का क्या जाऐगा ? इन्होने तो 64 वर्षों में घोटाले
कर-कर के 400 लाख करोड़ से ज्यादा का अकूत धन स्विस
व अन्य विदे’ाी बैंको में जमा करा रखा है! आप और आपका
देश भाड़ में जाऐ! इनके ठेंगे से ? ये तब भी ओहदेदार या
रायबहादुर ही होंगे!
दोस्तों जो गलतियां पहले हमारे पुरखे कर गये थे,
अब उन्ही गलतियों को पुनः न दोहराने दें! इनके सामानों
को खरीदना बंद करें, इनके सामानों  की होली जलाऐं
और स्वदेशी सामानों को ही अपनाएँ। ये कम्पनियां अपने आप ही
भाग जाऐंगी। इतिहास में जो कलंक हमारे माथे पर चिपका हुआ है
उसे मिटा दीजिए।
इम्तहान का यह आखिरी मौका है।

13.2.11

ताजमहल मकबरा नहीं बल्कि हिन्दूओं के अराध्य भगवान SHIव का ‘तजोमहालय’ था....

सारी दुनियां आजतक इस धोखे में है कि आगरा में स्थित ताजमहल को मुगल बादshaह Saहजहां ने बनवाया था।
तथ्यों से परे यह कोरा झूठ है...... यह उस वक्त के चापलूस इतिहासकारों द्वारा बादshaह Saहजहां की चापलूसी
में गढ़ी गई मुमताज और Saहजहां की प्रेम कहानी झूठी थी।
आगरा का ताजमहल वास्तव में हिन्दूओं के अराध्य देव भगवान Shiव का ‘तजोमहालय Shiवालय’ था!      इस तजोमहालय Shiवालय की भव्य सुन्दरता को देखकर  Shaहजहां ने अवैध तरीके से जयपुर के तत्कालीन महाराज से छीनकर कब्जा कर लिया.....और........
उस वक्त Shaहजहां के दरबारी लेखक ‘‘ मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी ’’ ने अपने ‘‘बादshaहनामा’’ में मुगल बादshaह का सम्पूर्ण वृतांत 1000 से अधिक पन्नो में लिखा है.....जिसके खण्ड एक के पृsठ संख्या 402 और 403 पर इस बात का उल्लेख है कि ‘’Shaहजहां की बेगम मुमताज-उल-जमानी जिसे मृत्यु के बाद  बुरहानपुर (मध्यप्रदेSH) में अस्थाई तौर पर दफना दिया गया था और इसके 6 माह बाद तारीख 15. जमदी-उल-अउवल दिन Shuक्रवार के दिन अकबराबाद (आगरा) लाया गया....फिर उसे जयपुर के महाराजा जयसिंह से छीन ली गयी इस Shaनदार इमारत (तजोमहालय) में पुनः दफनाया गया।  ‘‘मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी के अनुसार राजा जयसिंह अपने पुरखों कि इस आली मंजिल (तजोमहालय) से बेहद प्यार करते थे.. पर बादshaह के दवाब के आगे वह इसे देने को तैयार हो गये... इस बात की पुsटी के लिए आज भी राजा जयसिंह के गुप्त संग्रह में वे आदेsh रक्खे हुए हैं
जो Shaहजहां द्वारा ‘तजोमहालय’ भवन को समर्पित करने के लिए बादshaह ने राजा जयसिंह को दिए थे।
....यह सभी जानते हैं कि मुस्लिम Shaसकों के समय में उनके कुनबे और दरबारियों के लोगों के मरने के बाद
उन्हे दफनाने के लिए....छीनकर कब्जे में लिए गए हिन्दू मन्दिरों और भवनो का प्रयोग किया जाता था।
हुमायूं , अकबर, एतमाउददौला और सफदर जंग जैसे मुगल बादshaह भी एैसे भवनों में ही दफनाये गए हैं....
प्रो. ओक ने भी अपनी खोज में लिखा कि ‘महल’ ‘ाब्द अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक, किसी भी
मुस्लिम देesh में भवनों के लिए प्रयोग नही किया जाता है...
यहां यह बात भी झूठी लगती है कि ‘महल’ ‘ाब्द मुमताज महल से लिया गया है
इसके लिए पहली बात यह है कि......Shaहजहां कि पत्नी का नाम मुमताज महल था ही नही ..बल्कि उसका नाम मुमताज-उल-जमानी था...  दूसरी बात ......कि किसी भी भवन का नामकरण.. किसी महिला के नाम पर रखने के लिए मुमताज का नाम ‘मुम’ को छोड़ ‘ताज’ का प्रयोग करने का क्या तुक है...जो नाम का आधा भाग है....!  प्रो. ओक के अनुसार आज का ताजमहल हिन्दूओं के अराध्य स्थान तजोमहालय (भगवान Shiव का महल) का बिगड़ा हुआ संस्करण है।  इस तरह प्रो. ओक के अलावा भी दुनियां भर के अनेक इतिहासकार इसी बात प्रत्यक्ष समर्थन करते हैं।  भगवान Shiव का मन्दिर (तजोमहालय) यानि आज का ताजमहल मुगल बादshaह के युग से लगभग 300 वर्S पहले से ही था, जो आगरा के राजपूतों द्वारा पूजा जाता था।
--- न्यूयार्क के पुरात्वविद प्रोफेसर मर्विन मिलर ने 1985 में ताजमहल के यमुना की तरफ के दरवाजे की लकड़ी
पर जमी हुई कार्बन डेन्टिग के आधार पर यह सिद्ध कर दिया था कि यह दरवाजा सन् 1359 ईस्वी के आस-पास
का बना हुआ है। जबकि उस वक्त मुगलों का नामों-निshaन भी नहीं था। और मुमताज की मृत्यु 1631 ईस्वी में
हुई थी।  उसी वर्S 1631 में एक अंग्रेज भ्रमणकर्ता पीटर मुंडी के लेख में भी इस बात का पुरजोर समर्थन है कि
ताजमहल मुगल बादshaह के पहले अति महत्वपूर्ण भवन था।
झझझ इसी तरह एक फ्रांसीसी यात्री फविक्स बर्निअर एम. डी. जो औेरंगजेब के काल में भारत आया था और
10 year's तक रहा......उसने अपने विवरण में लिखा कि औरंगजेब काल में ही इस तरह का झूठ फैलाया गया कि ताजमहल तो Shaहजहां ने बनवाया था......
प्रोफेसर ओक ने अनेक आकृतियों और Shiल्प सम्बन्धी असंगताओं को जांच-परख कर साबित किया  कि ताज
महल कोई मकबरा नही बल्कि हिन्दूओं का अराध्य Shiव मन्दिर ही है जिसे बल पूवर्क मुगल बादshaह Shaहजहां ने मकबरे का रूप दिया।  आज भी ताजमहल  के अनेको कमरे Shaहजहां के समय से ही बन्द पड़े हैं....जो आम जनता की पहुंच से परे हैं।
प्रोफेसर ओक के अनुसार हिन्दू मन्दिरों में ही पूजा व धार्मिक संस्कारों के लिए भगवान Shiव की मूर्ति, त्रिshuल,
कलsh और  ऊँ आदि होते हैं .....प्रयोग किये जाते हैं.... कहा जाता है कि ताजमहल में मुमताज की कब्र पर हर समय बूंद बूंद कर पानी टपकता रहता है.....यदि एैसा है तो पूरी दुनियां में किसी की भी कब्र पर बूंद बूंद पानी नही टपकाया जाता.......जबकि प्रत्येक हिन्दू  Shiव मन्दिर में ही Shiव लिंग पर बूंद बूंद कर पानी टपकाने की
व्यवस्था की जाती है, फिर ताजमहल में मकबरे के उपर बूंद बूंद कर पानी टपकाने का क्या मतलब है ???????
राजनीतिक भत्र्सना व देesh के मुस्लिम वोटो की लालच या उनके कोप भाजन के डर से इंदिरा गांधी ने प्रोफेसर
पी. एन. ओक को भयंकर परिणाम भुगतने की धमकी के साथ उनकी सभी पुस्तकों को तत्काल जब्त कर लिया
था।   अगर प्रोफेसर पी. एन. ओक का ‘ताजमहल ’ अनुसंधान गलत था तो क्यों नही वर्तमान केन्द्र सरकार
ताजमहल के बन्द पड़े कमरों को संयुक्त राsट्र के पर्यवेक्षण में खुलवाए.....और अन्र्तराsट्रीय विsesyaज्ञों को छानबीन करने दे .......      जरा सोचिए !!!!!!!!    इस संगमरमरी आर्कshaण वाले तजोमहालय (ताजमहल) को बनवाने का श्रेय बाहर से आने वाले हमलावर मुगल बादshaह Shaहजहां को क्यों ???? 
जबकि इसको बनवाने का सच्चा श्रेय और नाम तो  जयपुर के महाराजा जयसिंह को जाना चाहिए .......
ताजमहल की छुपी हुई सच्चाई यही है कि ये मुमु का मकबरा नही बल्कि हिन्दू राजपूतों का अराध्य स्थल Shiवालय ‘तजोमहालय’ है  ..........
Shiवधाम पर लिटाया..तो Shiव बूंदे आंसू बन गईं,
रूह तड़प-तड़प कर आजतक.. अगान्तुकों से लिपट रही......

जनता यह जान ले कि आज क्रान्ति और परिवर्तन हमारी आवsयक्ता है।

धेैर्य टूटने लगा है! आज भारत के चप्पे-चप्पे पर भ्रsटाचार का बोलबाला है। इसका अहसास ही नहीं,  अब इसे देesh का प्रत्येक जन भुगत रहा है और वह बुरी तरह से पीढ़ित है। भारत के विद्वान कहे जाने वाले अर्थshaस्त्री प्रधानमन्त्री आमजन के लिए निकम्मे और जाहिल से भी बद्तर व्यक्ति साबित हुए हैं। वह अमरीका के दलाल से ज्यादा और कुछ नही बन पाये। बिना जनता के बीच गए, अमरीकी ईshaरे से चोर दरवाजे के जरिए सत्ता के सर्वोच्च पद पर आसीन हो कर सिर्फ और सिर्फ अमेरिका के हितो के कार्य ही किए। इनकी नीति एैसी,    देesh की कर दी एैसी-तैसी। भ्रsटाचार ने ‘shीर्sा सत्ता और नौकरshaही में जितने बेलगाम तरीके से पैर पसारे हैं shaयद उतने कभी नही। आज प्रत्येक गली कूचों में आम आदमी त्रस्त है। बेबस और आक्रोshiत है।
अनेक जगहों पर तो लोगों का श्रृंखलाबद्ध आत्महत्या करने का दौर जारी है।
लोगों को Shanत करने के लिए संसद ठप की जा रही है, जिन मन्त्री या अफसरों ने देesh का अकूत धन लूट कर अपना कोटा पूरा कर लिया है, उन्हे हटाया जा रहा है, कहीं-कहीं तो दिखावटी तौर पर गिरफ्तार भी किया जा रहा है। मुकदमें दर्ज किए जा रहे है। वो मुकदमें जो उनके लिए प्रचार पाने का आसान तरीका  तारीख पर तारीख के अलावा कुछ दे ही नही पाए। अगर मुकदमों से सजा पायी तो केवल आमजन ने।
डाॅ. मनमोहन सिंह एैसे अर्थshaस्त्री प्रधानमन्त्री हैं जिन्होने पंडित नेहरू के समय से shुरू हुई लाख दो लाख की लूट को अपने shaसन में लाखों करोंड़ों की लूट में बदलकर रख दिया है। पहले कोई इक्का-दुक्का ही लूट कर पाता था, जबकि मनमोहन shaसन में बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी सत्ता की कुर्सी पर विराजमान प्रायः प्रत्येक व्यक्ति जो किसी भी प्रकार से shaसन का अंग है या उससे जुड़ा है वह अपने पद की ताकत के हिसाब से लूट रहा है। वह हिन्दूस्तान को अपने बाप की जायदाद समझ कर अपनी जेबों में ठूंस लेना चाहता है। बड़ी कुर्सियों पर बैठे लोगो ने अपनी हैसियत के हिसाब से भारत के लोगों के धन को जनता से चुरा कर विदेshi बैंकों में जमा करा रखा है तो वहीं उनसे छोटे लोग भी ( बेनामी सम्पतियों, सोने, गहने, बैंको, लाकरों, ‘ोयर बाजारों आदि में..) देesh के लोगों को लूटते हुए अपनी हैसियत बढ़ा रहे हैं। सत्ता से जुड़ी प्रायः सभी कुर्सियों पर बैठे लोग आज जनता को हर तरीके से सरेआम, बोलकर, मांगकर लूट रहे है। अगर रिsवतखोर जनता के दवाब से रिsवत लेता हुआ पकड़ा भी जाता है तो वह भी रिsवत पकड़ने वालों को रिsवत देकर बच जाता है।              अब सवाल उठता है कि भारत की 140 करोड़ जनता आज की सत्ता के लूटेरों को आखिर कब तक बर्दास्त करती रहेगी ?      आखिर जनता को स्वयं भीड़ रूप मे निकलकर इन लूटेरों के विरूद्ध कोहराम मचाना ही होगा।    लूट तन्त्र को लोकतन्त्र कहने वाले भ्रsटाचारियों से जनता को स्चयं निपटना ही होगा। विsवविजयी का स्वप्नदृsटा हमारा प्यारा राsट्रीय ध्वज,  भ्रsटाचार के चक्रव्यूह में आज गया है पूरा फंस। इसको भ्रsटाचार से आजाद कराना ही होगा।
मिश्र देesh का उदाहरण हमारे सामने है, जहां की जनता ने Shaसन में व्याप्त भ्रsटाचार के कारणों से बढ़ी मंहगाई, बेरोजगारी के विरोध में तानाshaह राsट्रपति को गद्दी छोड़ भागने पर मजबूर कर दिया। आज भारत की जनता मिश्र के लोगों से कहीं ज्यादा त्रस्त है। देesh में बेरोजगारी और गरीबी का आलम ये है कि आम लोगों में से लोग सरेआम छीना-झपटी, लूट-खसोट करने लग गये हैं।
आमजन का देesh में राज कर रहे अंग्रेजी कानूनों के प्रति बढ़ते अवि’वास के चलते वह उसकी Shरण में जाने के बजाए अपने फैेंसले स्वयं कर लेने को अग्रसर है।
धन और सत्ता की अंधी दौड़ पर झूठी चिंता व्यक्त करने वालों को भी जनता देख रही है। पिछले दिनों भ्रsटाचार के खिलाफ देesh की जनता केवल एक दिन के लिए विरोध स्वरूप सड़कों पर उतरी थी। वास्तव में भ्रsटाचार के खिलाफ यह आयोजन ‘जनयुद्ध’ का पूर्व संकेत था। उसने सत्ता में बैठे भ्रsटाचारियो को ईshaरा कर दिया कि अब देesh की जनता भ्रsटाचार से मुक्ति चाहती है। अच्छा होगा कि सरकार समय रहते न्यायपालिका को पूर्ण स्वतंत्रता का दर्जा देकर त्वरित और सख्त दंड-विधान द्वारा इसकी समाप्ति की घोsणा कर दे।
और जनता यह जान ले कि आज क्रान्ति और परिवर्तन हमारी आवsयक्ता है। अब समय आ गया है भ्रsटाचार और इसको बढ़ावा देने वालों के खिलाफ मुखर होने का। अपने Shaसन और समाज
की स्वछता के लिए जनता इसे निर्णय की घड़ी मान कर ‘जनयुद्ध’ का ऐलान करे!   निschiत ही सफलता चरण चुमेगी!

रिsवत का निजाम बदल दो, देeshद्रोहियों का अंजाम बदल दो...

यौवन को अंगार बनाओ, क्रान्ति की मshaल जगाओ


नस-नस में एक ज्वाला भर लो, क्रान्ति का ऐलान कर दो

भ्रsटाचारी इस देesh से भागें, सोये नेता नींद से जागें

रिsवत का निजाम बदल दो, देeshद्रोहियों का अंजाम बदल दो

मत इनके बहकावे आओ, नफरत के तुम गीत न गाओ

सभी भारत के नौजवानों, अपनी ताकत को पहचानो

तुमने ही अंग्रेज भगाए, तुम ही तो आजादी लाये

नया सवेरा इस देesh में यारों, अब भी तुम्हे ही लाना है

गद्दी के गद्दारों को, इस देesh से दूर भगाना है

रिsवत का निजाम बदल दो, देeshद्रोहियों का अंजाम बदल दो...

4.2.11

गैस चोरी

इस तरह होती है ईण्डेन के रसोई गैस सिलेण्डरों में धड़ल्ले से हेरा फ़ेरी और उपभोक्ता को २ से ५ किलोग्राम तक एलपीजी वजन में कम मिलती है।
© T.C. Chander शिकायत बोल
गैस चोरी