भारत में मृत हो चुके योग और प्राणायाम को पूरी दुनियां में प्रतिSिठत करने वाले बाबा रामदेव जिसके द्वारा दुनियां भर के 5 करोड़ से ज्यादा लोग स्वस्थ्य लाभ ले चुके हैं, अनुयायी हैं। यहां तक कि मिडिल ईस्ट के
मुस्लिम देSHO के लोग भी छुप-छुपकर योग-प्राणयाम करते हैं और किसी भी पेैथी के द्वारा ठीक न होने वाली बीमारियों से उन्होने मुक्ति पायी है। करोड़ों को स्वस्थ्य दान करने वाले बाबा रामदेव अगर आज यूरोप और अमेरिका के होते तो निःसंदेह उन्हे नोबेल पुरूSकार कब का मिल गया होता। आज से 10 वर्SH पहले तक हमारी भारतीयता, हमारे सनातनी ज्ञान, संस्कृति और हमारे प्राचीन योग और औSाधि ज्ञान को दुनियां भर में दिव्य स्वरूप में प्रतिSिठत होने के बारे में, इस उत्थान के बारे में किसी ने भी SHAयद ही सोचा होगा! इससे पहले सभी लोगों को सिर्फ और सिर्फ स्वामी विवेकानन्द ही याद आते थे जब उनके 1896 में ’िSकागो धर्मसभा में भारतीय ज्ञान और योग पर ऐतिहासिक उद्धबोधन का। आज 105 साल बाद जब उसी पताका को एक सन्यासी पूरी भारतीयता के साथ पूरे विSव में लहराने मे लगा है तो हमारे देesh के ही भ्रSट, डरपोक, कायर, राSट्रद्रोही मुस्लिम वोटों की राजनीति करने के लिए अफजल गुरूओं को दामादों की तरह पालने वाली, बाटला हाउस के SHहीदों को कलंकित करने वाली, मुम्बई हमले के आतंकियों को हिन्दू साबित करने वाली, देESH को लूट-लूटकर, निचोड़ कर विदेSHो में खरबों-खरबों डाॅलर जमा करने वाली कांग्रेस ने अपने भ्रSटाचारी आचरण पर जेपीसी की खीज उतारने के लिए बाबा रामदेव नाम के खम्भे को नोचना SHुरू कर दिया है। क्योंकि बाबा रामदेव ने 2009 के चुनावो से पहले ही कालेधन का मुद्दा उठाना SHुरू कर दिया था। स्वामी रामदेव का कसूर सिर्फ इतना है कि वह योग के प्रसार के साथ-साथ भ्रSट राजनीति के कीचड़ भरें तालाब को भी साफ कर देना चाहते है। जबकि कांग्रेस बाबा रामदेव को एक भ्रSट सन्यासी करार देने पर उतारू है। राजनीति के घाघ और भ्रSटों को अच्छी तरह से पता है कि जब-जब कोई सन्यासी चाणक्य या गांधी बनकर
राजनीति में धंसा है तब-तब देESH में भ्रSट राजनीति का समूल नाSH हुआ है। उनपर आरोप लगाए जाते हैं कि उनका योग सिर्फ अमीरों के लिए है, गरीबों के लिए नही। SHायद वे ये नही जानते कि बाबा रामदेव ने एक
लाख से अधिक योग SHIiक्षकों को प्रSिSक्षण देकर भारत के कोने-कोने में योग के प्रचार प्रसार करने और गरीब भारतवासियों को स्वास्थ्य धन देने के लिए भेजा हुआ है। बाबा रामदेव के स्वदेSHI से प्रेरित होकर आज लाखों भारतीय विदेSHI उत्पादों का बहिSकार कर देESH की अरबो रूपयों की विदेSHI मुद्रा बचा रहे हैं। महात्मा गांधी के बाद अगर खादी के लिए किसी ने आन्दोलन किया है तो वह स्वर्गीय राजीव दीक्षित और बाबा रामदेव ही हैं। जिनकी वजह से आज लाखों लोग खादी द्वारा गृह उद्यौग चलाकर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। उनपर आरोप लगाने वालों को पता नही कि बाबा रामदेव की देSHI दवाईयों के कारण विदेSHI दवाई कम्पनियों को हर साल अरबों डालर का चूना लगता है। विदेSHO को जाने वाले यह धन देESH के विकास में काम आता है। क्या स्वदेSHी, भारत की प्राचीन योग परम्परा और देSHप्रेम की बात करना भारत में अपराध है? क्या राजनीति में प्रवेS सिर्फ माफियाओं, अपराधियों, धनपSHुओं और नेताओं की बिगड़ी हुई औलादों
के लिए ही आरक्षित है ? क्या संविधान में सिविल और डेमोक्रेटिक अधिकारों को मिटा दिया गया है जो प्रत्येक भारतवासी को प्राप्त है? क्या स्वामी बाबा रामदेव भारत के नागरिक नहीं हैं ? क्यों भारत के लोग मात्र दस कक्षा पास रहस्यमयी सोनियां के चरणों की धूल को नतमस्तक पर लगाने को उत्सुक रहते हैं ? इस देESH से राSट्रीयता का ह्नास क्यों होता जा रहा है ? स्वामी रामदेव का कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होने 21वीं सदी के राजाराम मोहन राय की तरह, ईSवर चन्द विद्यासागर की तरह, दयानन्द सरस्वती की तरह,
स्वामी विवेकानन्द की तरह ही सनातनी भारत को विSव गुरू बनाने का सपना देखा। जिसको साकार करने के लिए वे मनोयोग से कर्म करते हुए नित्य प्रतिदिन प्रगति के पथ पर हैं। इतिहास गवाह है कि जब-जब
किसी युगमानव ने दे’ा और समाज को बदलने का बीड़ा उठाया है तब-तब ही सुख सुविधा से सम्पन्न सड़-गले सुविधाभोगियों द्वारा ही विरोध किया गया! SHaयद हमारे देESH की सत्ता में बैठे लोगों के कान इतने बहरे हो गये हैं जिन्हे मिस्र, ट्यूनिSHIया, लिबिया और दुनियां के दूसरे देSHO में उठते बदलाव की पुकार भी सुनाई नही पड़ रही! इसका एकमात्र कारण यही है कि वह देESH के लोगों के धन को हड़पकर प्राप्त की गईं सुख-सुविधाभोगी कीचड़ में पिल-पिला रहे हैं जिन्हे भारत के गरीबों से कुछ लेना-देना नही। उन्हे हमारे देESH की बेरोजगारी से पनप रहे विद्रोह, गरीबों की भूख से निकलती आह, आत्महत्या करते किसान, दूध के लिए बिलखते बच्चों के लिए सरेआम बिकती मांए नहीं दिखतीं! जंगलों से बेदखल होते आदिवासी और उनको
हथियार पकड़ा कर नक्सली बनाते देESHद्रोही कम्यूनिस्ट नही दिखते! इनको यूएनओ का मानव विकास सूचकांक भी नही दिखाई पड़ रहा जिसमें भारत देESH सबसे अंतिम श्रेणी में खड़ा है जबकि मानव विकास में भूटान, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान जेैसे देESH हमसे आगे खड़े हैं। SHAयद हमारी सरकार और प्रधानमन्त्री अपने कार्यकाल में प्रोफेसर अर्जुन सेन गुप्ता की 2006 की रिर्पोट को पढ़कर भूल गये है जिसमें कहा गया कि भारत के अस्सी करोड़ लोगों की प्रतिदिन की आमदनी 20 रूपये या इससे कम है। आजादी के 64 वर्SOो बाद से गरीबी बढ़ने की रफ्तार तेजी से बढ़ती जा रही है। जबकि कुछ लोगों द्वारा सत्ता में आते ही देESH के धन को लूटकर अरबों-खरबों जमा कर लिया गया! जबकि अंग्रेज ने भी अपने 175 साल के SHAसन में 1000 अरब डालर धन की लूट की थी। यही हम भारतवासियों का इतिहास है। हमारी कमजोरियों और हमारे दब्बूपने की वजह से सभी न हमें लूटा है और लूट रहे हैं। मुहम्मद गजनवी से लेकर सोनियां गांधी तक। सोमनाथ मन्दिर से काॅमनवेल्थ, टू जी स्पेक्ट्रम तक। पामोलिन घोटालेबाज पी.जे. थामस को सिर्फ इसलिए सी वी सी का अध्यक्ष बना दिया गया कि वह ईसाई और सोनियां गांधी परिवार का नजदीकी था। यही परिवार देESH में भ्रSटाचार की मुख्य जड़ है, जिनकी वजह से तमाम सभी प्रकार के भ्रSटाचार और
भ्रSटाचारियों का जन्म हुआ। बाबा स्वामी रामदेव का कसूर यही है कि उन्होने इस भ्रSटतम नेहरू, गांधी परिवार पर उंगलियां उठायीं। जबकि बाबा ने स्वयं ही बता दिया कि मेरे दो ट्रस्ट हैं, जिनकी वार्”Sिाक टर्न
ओवर 2200 करोड़ है। जो लाभ नही कागजों में दर्ज टर्नओवर है। जबकि यह रकम बाबा के खिलाफ बोलने वाले दिग्गी राजा की सम्पति और आय से बहुत कम है। अगर बाबा ने अपना आन्दोलन तेज किया तो
निSिचत ही कांग्रेस को सत्ता के साथ उनका विदेSी बैंको में जमा धन से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
मुस्लिम देSHO के लोग भी छुप-छुपकर योग-प्राणयाम करते हैं और किसी भी पेैथी के द्वारा ठीक न होने वाली बीमारियों से उन्होने मुक्ति पायी है। करोड़ों को स्वस्थ्य दान करने वाले बाबा रामदेव अगर आज यूरोप और अमेरिका के होते तो निःसंदेह उन्हे नोबेल पुरूSकार कब का मिल गया होता। आज से 10 वर्SH पहले तक हमारी भारतीयता, हमारे सनातनी ज्ञान, संस्कृति और हमारे प्राचीन योग और औSाधि ज्ञान को दुनियां भर में दिव्य स्वरूप में प्रतिSिठत होने के बारे में, इस उत्थान के बारे में किसी ने भी SHAयद ही सोचा होगा! इससे पहले सभी लोगों को सिर्फ और सिर्फ स्वामी विवेकानन्द ही याद आते थे जब उनके 1896 में ’िSकागो धर्मसभा में भारतीय ज्ञान और योग पर ऐतिहासिक उद्धबोधन का। आज 105 साल बाद जब उसी पताका को एक सन्यासी पूरी भारतीयता के साथ पूरे विSव में लहराने मे लगा है तो हमारे देesh के ही भ्रSट, डरपोक, कायर, राSट्रद्रोही मुस्लिम वोटों की राजनीति करने के लिए अफजल गुरूओं को दामादों की तरह पालने वाली, बाटला हाउस के SHहीदों को कलंकित करने वाली, मुम्बई हमले के आतंकियों को हिन्दू साबित करने वाली, देESH को लूट-लूटकर, निचोड़ कर विदेSHो में खरबों-खरबों डाॅलर जमा करने वाली कांग्रेस ने अपने भ्रSटाचारी आचरण पर जेपीसी की खीज उतारने के लिए बाबा रामदेव नाम के खम्भे को नोचना SHुरू कर दिया है। क्योंकि बाबा रामदेव ने 2009 के चुनावो से पहले ही कालेधन का मुद्दा उठाना SHुरू कर दिया था। स्वामी रामदेव का कसूर सिर्फ इतना है कि वह योग के प्रसार के साथ-साथ भ्रSट राजनीति के कीचड़ भरें तालाब को भी साफ कर देना चाहते है। जबकि कांग्रेस बाबा रामदेव को एक भ्रSट सन्यासी करार देने पर उतारू है। राजनीति के घाघ और भ्रSटों को अच्छी तरह से पता है कि जब-जब कोई सन्यासी चाणक्य या गांधी बनकर
राजनीति में धंसा है तब-तब देESH में भ्रSट राजनीति का समूल नाSH हुआ है। उनपर आरोप लगाए जाते हैं कि उनका योग सिर्फ अमीरों के लिए है, गरीबों के लिए नही। SHायद वे ये नही जानते कि बाबा रामदेव ने एक
लाख से अधिक योग SHIiक्षकों को प्रSिSक्षण देकर भारत के कोने-कोने में योग के प्रचार प्रसार करने और गरीब भारतवासियों को स्वास्थ्य धन देने के लिए भेजा हुआ है। बाबा रामदेव के स्वदेSHI से प्रेरित होकर आज लाखों भारतीय विदेSHI उत्पादों का बहिSकार कर देESH की अरबो रूपयों की विदेSHI मुद्रा बचा रहे हैं। महात्मा गांधी के बाद अगर खादी के लिए किसी ने आन्दोलन किया है तो वह स्वर्गीय राजीव दीक्षित और बाबा रामदेव ही हैं। जिनकी वजह से आज लाखों लोग खादी द्वारा गृह उद्यौग चलाकर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। उनपर आरोप लगाने वालों को पता नही कि बाबा रामदेव की देSHI दवाईयों के कारण विदेSHI दवाई कम्पनियों को हर साल अरबों डालर का चूना लगता है। विदेSHO को जाने वाले यह धन देESH के विकास में काम आता है। क्या स्वदेSHी, भारत की प्राचीन योग परम्परा और देSHप्रेम की बात करना भारत में अपराध है? क्या राजनीति में प्रवेS सिर्फ माफियाओं, अपराधियों, धनपSHुओं और नेताओं की बिगड़ी हुई औलादों
के लिए ही आरक्षित है ? क्या संविधान में सिविल और डेमोक्रेटिक अधिकारों को मिटा दिया गया है जो प्रत्येक भारतवासी को प्राप्त है? क्या स्वामी बाबा रामदेव भारत के नागरिक नहीं हैं ? क्यों भारत के लोग मात्र दस कक्षा पास रहस्यमयी सोनियां के चरणों की धूल को नतमस्तक पर लगाने को उत्सुक रहते हैं ? इस देESH से राSट्रीयता का ह्नास क्यों होता जा रहा है ? स्वामी रामदेव का कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होने 21वीं सदी के राजाराम मोहन राय की तरह, ईSवर चन्द विद्यासागर की तरह, दयानन्द सरस्वती की तरह,
स्वामी विवेकानन्द की तरह ही सनातनी भारत को विSव गुरू बनाने का सपना देखा। जिसको साकार करने के लिए वे मनोयोग से कर्म करते हुए नित्य प्रतिदिन प्रगति के पथ पर हैं। इतिहास गवाह है कि जब-जब
किसी युगमानव ने दे’ा और समाज को बदलने का बीड़ा उठाया है तब-तब ही सुख सुविधा से सम्पन्न सड़-गले सुविधाभोगियों द्वारा ही विरोध किया गया! SHaयद हमारे देESH की सत्ता में बैठे लोगों के कान इतने बहरे हो गये हैं जिन्हे मिस्र, ट्यूनिSHIया, लिबिया और दुनियां के दूसरे देSHO में उठते बदलाव की पुकार भी सुनाई नही पड़ रही! इसका एकमात्र कारण यही है कि वह देESH के लोगों के धन को हड़पकर प्राप्त की गईं सुख-सुविधाभोगी कीचड़ में पिल-पिला रहे हैं जिन्हे भारत के गरीबों से कुछ लेना-देना नही। उन्हे हमारे देESH की बेरोजगारी से पनप रहे विद्रोह, गरीबों की भूख से निकलती आह, आत्महत्या करते किसान, दूध के लिए बिलखते बच्चों के लिए सरेआम बिकती मांए नहीं दिखतीं! जंगलों से बेदखल होते आदिवासी और उनको
हथियार पकड़ा कर नक्सली बनाते देESHद्रोही कम्यूनिस्ट नही दिखते! इनको यूएनओ का मानव विकास सूचकांक भी नही दिखाई पड़ रहा जिसमें भारत देESH सबसे अंतिम श्रेणी में खड़ा है जबकि मानव विकास में भूटान, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान जेैसे देESH हमसे आगे खड़े हैं। SHAयद हमारी सरकार और प्रधानमन्त्री अपने कार्यकाल में प्रोफेसर अर्जुन सेन गुप्ता की 2006 की रिर्पोट को पढ़कर भूल गये है जिसमें कहा गया कि भारत के अस्सी करोड़ लोगों की प्रतिदिन की आमदनी 20 रूपये या इससे कम है। आजादी के 64 वर्SOो बाद से गरीबी बढ़ने की रफ्तार तेजी से बढ़ती जा रही है। जबकि कुछ लोगों द्वारा सत्ता में आते ही देESH के धन को लूटकर अरबों-खरबों जमा कर लिया गया! जबकि अंग्रेज ने भी अपने 175 साल के SHAसन में 1000 अरब डालर धन की लूट की थी। यही हम भारतवासियों का इतिहास है। हमारी कमजोरियों और हमारे दब्बूपने की वजह से सभी न हमें लूटा है और लूट रहे हैं। मुहम्मद गजनवी से लेकर सोनियां गांधी तक। सोमनाथ मन्दिर से काॅमनवेल्थ, टू जी स्पेक्ट्रम तक। पामोलिन घोटालेबाज पी.जे. थामस को सिर्फ इसलिए सी वी सी का अध्यक्ष बना दिया गया कि वह ईसाई और सोनियां गांधी परिवार का नजदीकी था। यही परिवार देESH में भ्रSटाचार की मुख्य जड़ है, जिनकी वजह से तमाम सभी प्रकार के भ्रSटाचार और
भ्रSटाचारियों का जन्म हुआ। बाबा स्वामी रामदेव का कसूर यही है कि उन्होने इस भ्रSटतम नेहरू, गांधी परिवार पर उंगलियां उठायीं। जबकि बाबा ने स्वयं ही बता दिया कि मेरे दो ट्रस्ट हैं, जिनकी वार्”Sिाक टर्न
ओवर 2200 करोड़ है। जो लाभ नही कागजों में दर्ज टर्नओवर है। जबकि यह रकम बाबा के खिलाफ बोलने वाले दिग्गी राजा की सम्पति और आय से बहुत कम है। अगर बाबा ने अपना आन्दोलन तेज किया तो
निSिचत ही कांग्रेस को सत्ता के साथ उनका विदेSी बैंको में जमा धन से भी हाथ धोना पड़ सकता है।