23.2.11

जहां 100 में से 90 बेईमान हैं, फिर भी मेरा भारत महान है

बेईमानों की भी हो जनगणना

जहां 100 में से 90 बेईमान हैं, फिर भी मेरा भारत महान है
आजादी के बाद से ही यह कौेतुहल का विsaय रहा है कि भारत में कितने प्रतिsaत लोग बेईमान हैं ?
प्रत्येक आदमी के पास अपने-अपने आंकड़े हैं...लेकिन हद तो तब हो गई जब भारत सरकार के अटोर्नी जनरल वाहनवती ने स्वयं अपने मुखारविन्द से सर्वोच्च न्यायालय में भारत के लोगों पर आरोप लगाया था कि भारत की Saत-प्रतिsaत जनता बेईमान हो गई है, इसका सीधा-सीधा मतलब ये निकला कि वाहनवती भी बेईमान हुए ? उनके इस आरोप ने इस बहस को और भी तेज किया....और एक नई दिsha भी मिली ...चूंकि राजीव गांधी के समय में 10 प्रतिsaत ईमानदार ही देesh में बचे हुए थे इसलिए राजीव गांधी ने संसद में स्वीकार किया था कि दिल्ली से चले पैसे का मात्र 10 प्रति’ात ही
जनता तक पहूंच पाता है। यह भी उनका अनुमान ही था, क्योंकि इस सम्बन्ध में सरकार के पास भी कोई विsवस्त आंकड़ें नही थे। हालांकि फिर भी राजीव ने ‘मेरा भारत महान’ का नारा दिया और पहले भूतपूर्व बाद में अभूतपूर्व हो गए। इसके कुछ दिनों बाद ह ‘‘यASHवन्त’’ फिल्म में नाना पाटेकर ने भी इसकी पुsटee की कि 100 में से 90 भारतीय बेईमान हैं फिर
भी भारत महान है.....अब वर्तमान काल में कितना प्रतिsaत पैसा जनता तक पहूंच पा रहा है यह पता करने का सरकार ने कोई प्रयास नही किया है और न ही प्रधानमन्त्री ने लम्बे समय से इस सम्बन्ध में कोई बयान ही दिया है। अगर भारत सरकार के अटोर्नी जनरल के बयान को ही सच मानें
तो फिर जनता तक एक भी पैसा नहीं पहूंचना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नही पा रहा ह........इसलिए सरकार को यह पता लगाने के लिए कि देesh में कितने लोग बेईमान और कितने लोग ईमानदार हैं इसके लिए बेईमानी को भी जनगणना में shaमिल करना चाहिए ...इससे सबसे पहला
फायदा तो यह होगा कि यह अनुमान लगाने की सुविधा होगी कि योजनाओं में कितनी रupya जनता तक पहूंच पा रहa है....चूंकि ईमानदारों का प्रतिshaत और जनता तक पहुंचे धन का प्रतिsaत समानुपाती होता है। इसलिए सरकार को यह मालूम हो जाने के बाद अलग से घोटालों की राshi का प्रावधान कर सकेगी। इस जनगणना में मैं बेईमानों की ग्रेडिंग की अनुसंsha करता हूं
ए.बी.सी.डी आदि में। इसका अपना लाभ होगा। जिस पद के लिए जिस श्रेणी का बेईमान चाहिए, उस पद के लिए उसी श्रेणी के बेईमान की नियुक्ति की जा सकेगी। जैसे राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों के लिए, दूरसंचार मन्त्री के लिए आसानी से ‘ए’ ग्रेड के बेईमान ढूंढे जा सकेंगे। इसके साथ होshiयार और मूर्ख बेईमानों की भी अलग-अलग श्रेणी बनानी पड़ेंगी। होshiयार बेईमानों में उन्हे shaमिल किया जाना चाहिए जो घोटाला करने के बावजूद मामले को उजागर न होने देने में माहिर हों!  आज देesh को ऐसे बेईमानों की सख्त जरूरत है, वैसे भी इसका सबसे ज्यादा लाभ स्वयं कांग्रेस को ही होगा क्योंकि उसके Shaसन में ही सबसे ज्यादा घोटाले होते हैं।
वैसे मूर्ख बेईमानों के मन्त्री बन जाने से प्रतिदिन ही कोई न कोई घोटाला प्रकाsh में आता जाता है जिससे सरकार की किरकिरी पर किरकिरी होती जा रही है। वैसे तो हमारी सरकारें किरण बेदी,   सत्येन्द्र दूबे और अभयानन्द जैसे ईमानदारों को पहले से ही उनकी ईमानदारी के लिए दण्डित करती रही है...लेकिन जनगणना के बाद ईमानदारों को और भी आसानी से चिन्हित करके दण्डित किया जा सकेगा ...इसके साथ ही सरकार को उत्कृsट कोटि के बेईमानों के लिए बेईमान विभूshण, बेईमान भूshण, बेईमान श्री पुरुस्कार देने
की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे लाभ ये होगा कि ईमानदार अपनी ईमानदारी भरी व्यवस्था विरोधी गतिविधियों के प्रति हतोत्साहित होंगे और भारत को पूरी दुनियां में प्रथम shaत-प्रतिshaत बेईमान देesh बनने का गौरव प्राप्त हो सकेगा। इसके साथ ही ईमानदारों के लिए कठोर कानून बनाया जाना चाहिए   जिससे कोई भूलकर भी ईमानदारी पर चलने की गलती कर सके। लोकतन्त्र बहुमत से चलता है, बेईमानों को भी अपनी जनसंख्या के आधार पर सत्ता में भागीदारी मिले।
                                                     By : Harendar Singhal, Najafgarh

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें