18.2.11

तिरंगा - जन-गण-मन का झूठा राग


विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
और जन-गण-मन का झूठा राग,
रस्म अदायगी का ये नाटक
राष्ट्रीय ध्वज से-हम करते आज!

विश्व विजयी का स्वप्नद्रष्टा,
अपना प्यारा राष्ट्रीय ध्वज !
अमरीका के चक्रव्यूह में,
आज गया है पूरा फँस !!

लगा के अपनी जान
बचालो तिरंगे की अब शान।

केसरिया रंग हमारा
है बल (पौरुष) का प्रतीक,
बल नही भर पा रहा
क्योंकि हुऐ हम-
पराई संस्कृति के नज़दीक।

सफेद रंग है दर्शाता,
सच्चाई और सादगी हमारी!
सच्चाई छोड़ दी सफेदपोशों ने,
आयतित जीवन शैली ने-
छीन ली सादगी हमारी ।।

सफेद ! अब रहा नही सफेद
लगे हैं जगह-जगह धब्बे !
सादगी खत्म
हुआ सच्चाई का चीर-हरण
ईमान बन गया आज
हरे-हरे नोटों के थब्बे ।।

और हरा रंग
हरी हमारी धरती का !
कृषि पर भी कब्जा हो रहा
वर्चस्व बढ़ा
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का।।

आओ जन-गण-मन की हम बात करें,
जिसकी जय नही है आज !
इनकी जय पर छा गया,
अमरीकी अधिनायकवाद !!

पहले ब्रिटेन था
अब अमरीका
बना हुआ सम्राट !
भारत तंत्र आज इसके जय की
लगा रहा आवाज !!

आज तिरंगे का अपमान
कर रहे -
हमारे ही हुक्मरान !
बे-शक सजाएँ जन-गण को दें
क्यों किया
तिरंगे का अपमान !!

उठो ! और छोड़ो इनको
बदलो अपना रास्ता,
अपनी आत्मनिर्भरता को बहाल कर
न रखो इनसे वास्ता !!

अपने आत्मगौरव के भाव जगाओ,
इन बहुराष्ट्रीय गिद्धों को बाहर भगाओ।
सादगी, सयंम, सच्चाई प्रतिष्ठित करके,
आत्म सम्मान को वापस लाओ ।।

तभी होगा
हमारे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान !
बनेगा तभी विश्व विजयी,
हमारा तिरंगा महान !!

सुरेsh त्रेहण 9999980424
email: sureshtrehan@rocketmail.com

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