23.1.10

बेटी कहे पुकार के..... मत मारो मुझे कोख में

बेटी कहे पुकार के
माँ मुझे जीने दो
न मारो मुझे कोख में
मुझे जीवन दान दो
क्यों छीनो तुम
हक मेरा ‘जीने का’,
मूझे जन्म दो माँ पाऊं मैं
सौभाग्य खुलेे में सांस लेने का।

भाई की उंगली पकड़कर खेलूं मैं
पिता का प्यार पाने दो,
न मारो मूझे तुम कोख में
मूझे जीवन दान दो।

लड़कियां ! माँ बाप की सेवा करतीं
सदाचार से वो जीवन बितातीं,
थकती हैं तो shiकायत न करतीं
कभी किसी को नहीं सतातीं

विधाता की सौगात है सच्ची
नवदुर्गा का रूप है बच्ची
कन्या दान है महादान

न मारो इनको करो ये बलिदान

गर हो जाए बेटी,
हर घर का सपना
बदल जाएगा देsh
और साथ में समाज अपना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें