23.1.10

महँगाई.....महँगाई, और ...र...महँगाई रहम करो अब मन मोहन भाई

महँगाई ने जिस प्रकार राक्षसी तरीके से अपना मुंह फाड़ा है, उससे आम
आदमी का जीना दूभर हो गया है। इन ठंड के दिनों में भी आम आदमी
को घर चलाने में पसीने छूट रहे हैं। कमरतोड़ महँगाई ने लोगों का पसीना
निकाल दिया है। दैनिक उपभोग की वस्तुओं को तो मानो आग ही लग
गई है। आज हालत ये है कि आम आदमी रोटी और दाल के लिए भी
हलकान है। सरकार बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने में पूरी तरह से
नाकाम हो गई। अब तो देsh की आम जनता को सरकार के कुछ मन्त्री
भी जमाखोरों और पूंजीपतियों के दलाल की भूमिका में नजर आने लगे हैं।
म़न्त्री स्वयं ही देsh के जमाखोरों को सरेआम बताते हैं कि देsh में फलाँ
वस्तु की कमी होने वाली है......तो....! मन्त्री की बात के तुरंत बाद ही
उस वस्तु के दामों में भारी बढ़ोतरी देखने में आयी। और इसी सरकार से
जुड़े लोगों की shह पर महँगाई ने पिछले सभी रिकार्ड तोड़ डाले हैं। पेट
भरने के सामान तेल, आटा, चावल, चीनी, दालों की कीमतें ही नहीं बढ़ी
है बल्कि इसकी आड़ में रोज इस्तेमाल होने वाले सामानों जैसे टूथपेस्ट,
टूथब्रsh, नहाने के साबून, कपड़े धोने के साबून, sheम्पू, वाshinग पाउडर,
अंडर गारमेंट, गारमेंट, जूते, shu पाॅलिsh से लेकर कंघी तक, बसों के किराए,
मेट्रो के किराए बढ़े हैं। shaयद ही अब कोई ऐसा क्षेत्र बचा हो जहाँ भारी
बढ़ोतरी दर्ज न हुई हो। इस देsh का सोभाग्य है या दुर्भाग्य, कि हमारे दesh
के प्रधानमंत्री एक राजनेता के बजाए अर्थshaस्त्री के रूप में ज्यादा जाने-
पहचाने जाते हैं। महँगाई ने उनके अर्थshaस्त्र की बखिया ही उधेड़ कर रख
दी। महँगाई को विकास मानने वाले इस अर्थshaस्त्र के विरोध में अब देsh
का आमजन सड़कों पर आने को तैयार है। वैसे भी सरकार की नीतियों
के विरोध में अनेक राज्यों के लोगों से अनेक स्तरों पर सरकार से सघंर्sh
जारी है। यहां तक की shस्त्र संघर्sh भी। डर है कि महँगाई पर लगाम नही
लगाई गई, तो देsh भर में लूट-खसोट का माहौल न बन जाए।
अब तो हर आए दिन सरेआम छीना-झपटी, चोरी-डकैती की वारदातों का
होना आम बात हो गयी है। लोग बैंकों की नोटों से भरी एटीएम म’ाीनें
भी उठाकर ले जाने लगें हैं। बेshaक पुलिस झूठे दावे और झूठे आंकड़ों के
सहारे सरकार को भरमाती रहे। पर भूगतती जनता सब जानती है।
सरकार द्वारा महँगाई की रफ्तार को पीछे धकेलते हुए, आम आदमी की
सुध लेनी ही होगी। अन्यथा सरकार को आमजन के कोपभाजन के लिए
तैयार रहना चाहिए। अभी-अभी समाचार आया है कि हरियाणा के
ऐलनाबाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार को आमलोगों ने सिरे
से नकार दिया है। वहां सरकार ने आमजनों को लालच की बेshuमार
गुगलियां दी, पर सरकार के ललचाने वाले झांसों में आए बिना उसने
विपक्ष के उमिदवार को ही विजयी बनाया। ज्ञात हो कि हरियाणा में जनता
ने कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए नही चुना था, पर इस देsh की विडम्बना
है कि मैं कौन तो खामखाह? जोड़-तोड़, खरीद-फरोख्त के सहारे आखिर
कांग्रेस ने सरकार बना ही ली।

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